नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें पूजा और मेलों का आयोजन होता है। यहाँ सभी नौ दिन माँ आदिशक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित किया जाता है। प्रत्येक रूप का विशेष महत्व है, और उन्हें एक नवग्रह (चंद्रमा, मंगल, शुक्र, सूर्य, बुद्ध, गुरु, शनि, राहू, केतु) के स्वामिनी मानकर, उनसे जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए पूजा जाता है।
नवरात्रि उत्सव 2023: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?
घटस्थापना 15 अक्टूबर 2023 को आयोजित की जाएगी। यह एक 9-दिवसीय नवरात्रि और दशहरा के दौरान अनुष्ठानिक रूप से पालन की जाने वाली एक रस्म है। दशहरा त्योहार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है। घटस्थापना अनुष्ठान दोनों त्योहारों की शुरुआत का प्रतीक है।
घटस्थापना महोत्सव कैसे मनाया जाता है:
घटस्थापना के दौरान, लोग एक कलश में ‘पवित्र जल’ भरते हैं। फिर वे कलश को गाय के गोबर से लेपित करते हैं और उसमें जौ के बीज बोते हैं। फिर इसे एक रेत के गड्ढे में रखा जाता है, जिसे जौ के बीज के साथ भी बोया जाता है। इस कलश को एक पुजारी द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है, जो देवी दुर्गा को पूरे त्योहार के लिए बर्तन में निवास करने के लिए कहता है।
परिवार के किसी सदस्य द्वारा दिन में दो बार, त्योहार खत्म होने तक हर दिन बर्तन की पूजा की जाती है। कलश को धूप से दूर रखा जाता है और उसमें प्रतिदिन पवित्र जल डाला जाता है। इस गतिविधि के परिणामस्वरूप गमले से एक लंबी, पीली घास उगती है, जिसे ‘जमारा’ कहा जाता है।
घटस्थापना का शुभ समय:
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन, कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का पूजन प्रारंभ किया जाता है।
नवरात्रि उत्सव 2023: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?
15 अक्टूबर 2023: शुभ मुहूर्त – सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक।
अवधि – 00 घंटे 46 मिनट
घटस्थापना: नवरात्रि के आरंभ का प्रारंभ
नवरात्रि के पावन महोत्सव का आगाज ‘घटस्थापना’ से होता है। यह पर्व नवरात्रि के पहले दिन मनाया जाता है और भगवान दुर्गा की आराधना का आयोजन करते हैं। इसे माँ शैलपुत्री के रूप में भी जाना जाता है जो नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं।
घटस्थापना का महत्व:
घटस्थापना महोत्सव से नवरात्रि का आयोजन होता है जिसमें एक कलश में ‘पवित्र जल’ भरा जाता है और उसे शुभ मान्यताओं से लिपिटा जाता है। फिर इसे गोबर से लिपिटा जाता है और उसमें जौ के बीज बोए जाते हैं। इस कलश को गड्ढे में रखा जाता है और उसे रेत के साथ बोया जाता है। घटस्थापना के अंत में एक पुजारी द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है और देवी दुर्गा को नवरात्रि के दौरान आत्मा में आवाजित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
घटस्थापना उत्सव के आयोजन:
नवरात्रि के आदि दिन, यहाँ तक कि विश्वास है कि सूर्योदय के समय घटस्थापना का आयोजन करना शुभ है। इसे समर्पित भवन में किया जाता है, जिसे साक्षात माँ दुर्गा का आवास माना जाता है।
घटस्थापना का उपयोग:
नवरात्रि के नौ दिनों तक, घटस्थापना को धूप और प्रार्थनाओं के साथ अर्चना किया जाता है। प्रतिदिन पवित्र जल डाला जाता है और ‘जमारा’ का उत्थान किया जाता है। जमारा एक प्रकार की घास होती है जिसे नौ दिनों में उगाया जाता है। इसे दशमी के दिन बर्तन से कांपन करके भगवान विश्वकर्मा को देदिया जाता है जो घर के उद्घाटन के लिए उपयुक्त होता है।
निष्कर्ष:
घटस्थापना नवरात्रि के पर्व का आधिक महत्वपूर्ण एवं प्रारंभिक आयोजन है। इसके माध्यम से शक्ति, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है ताकि व्यक्ति नौ दिनों तक देवी दुर्गा के आशीर्वाद से युक्त रहे। यह पर्व हमें शुभकामनाओं और आनंद के साथ भर देता है जो नए आरंभों के लिए उत्साहित करता है।”