ram with vedocstotra

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की

पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

By vsadmin