नासिक कुंभ मेला
महाराष्ट्र के नासिक में कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है। यह भव्य आयोजन गोदावरी नदी और कुशावर्त कुंड के पवित्र तट पर होता है। लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर और राम कुंड जैसे धार्मिक स्थलों पर पवित्र स्नान करते हैं।
यह मेला केवल स्नान का अवसर ही नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक अनुष्ठानों और प्राचीन परंपराओं का जीवंत रूप भी है।
प्रमुख अनुष्ठान और आयोजन
नासिक कुंभ मेले में कई धार्मिक रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें से कुछ बेहद खास हैं:
- राम कुंड पर ध्वजारोहण
- श्रावण शुद्धा पर साधुग्राम में अखाड़ों का झंडा फहराना
- श्रावण पूर्णिमा, भाद्रपद अमावस्या और ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल पंचमी) पर पवित्र स्नान या शाही स्नान
- अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण शाही स्नान भाद्रपद शुक्ल द्वादशी (वामन द्वादशी) को किया जाता है।
नासिक कुंभ मेले का ऐतिहासिक महत्व
नासिक कुंभ मेला, भारत के अन्य तीन कुंभ मेलों (प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन) की तरह ही आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के बीच अमृत पाने के लिए भीषण संघर्ष हुआ था। यह युद्ध 12 वर्षों तक चला। उसी दौरान भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ देव अमृत कलश लेकर आकाश में उड़ गए। उड़ान के दौरान कुछ बूँदें नासिक की धरती पर गिरीं।
इसी कारण नासिक को अमृतधारा से पवित्र तीर्थस्थल माना गया और यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।
नासिक कुंभ मेला 2027 कब होगा?
महाराष्ट्र सरकार ने आखिरकार नासिक कुंभ मेला 2027 की तिथियों की घोषणा कर दी है। यह महाकुंभ 31 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा और करीब 21 महीनों तक चलेगा। यह पवित्र आयोजन जुलाई 2028 में समाप्त होगा।
नासिक कुंभ मेले की घोषणा
नासिक में हाल ही में 13 अखाड़ों और धार्मिक संगठनों की बैठक हुई, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए। बैठक के बाद मेले की तिथियों की घोषणा की गई और यह भी बताया गया कि इस आयोजन को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए कई परियोजनाएँ शुरू होंगी।
2027 नासिक कुंभ मेला अमृत स्नान की तिथियाँ
अमृत स्नान (जिसे पहले शाही स्नान कहा जाता था) सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। महंत राजेंद्रदास महाराज ने शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान रखने का सुझाव दिया था।
अमृत स्नान की तारीखें (2027)
तारीख | अमृत स्नान | हिंदू कैलेंडर तिथि |
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2 अगस्त 2027 | पहला अमृत स्नान | आषाढ़ सोमवती अमावस्या |
11 अगस्त 2027 | दूसरा अमृत स्नान | श्रावण अमावस्या |
11 सितंबर 2027 | तीसरा अमृत स्नान | भाद्रपद शुद्ध एकादशी |
नासिक कुंभ मेला 2027 की अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ
तारीख | पर्व / अवसर |
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24 जुलाई 2027 | ध्वजारोहण समारोह |
5 सितंबर 2027 | ऋषि पंचमी |
11 सितंबर 2027 | भाद्रपद शुद्ध एकादशी |
15 सितंबर 2027 | भाद्रपद पूर्णिमा |
11 और 15 अक्टूबर 2027 | आश्विन शुद्ध एकादशी और पूर्णिमा |
10 और 14 नवंबर 2027 | कार्तिक शुद्ध एकादशी और पूर्णिमा |
26 जनवरी 2028 | मौनी अमावस्या |
1 फ़रवरी 2028 | वसंत पंचमी |
8 फ़रवरी 2028 | गंगा गोदावरी महोत्सव |
27 फ़रवरी 2028 | महा शिवरात्रि |
25 मई – 2 जून 2028 | गंगा दशहरा उत्सव |
नासिक कुंभ मेला 2027 इतना लंबा क्यों होगा?
नासिक कुंभ मेला 2027–28 लगभग 21 महीने तक चलेगा।
इसका मुख्य कारण है – भीड़ प्रबंधन।
- प्रयागराज कुंभ मेला 10,000 एकड़ में आयोजित होता है, जबकि नासिक में साधुग्राम का क्षेत्र सिर्फ 350 एकड़ है।
- रामकुंड घाट का क्षेत्र मात्र 100 एकड़ है।
- अधिक समय देने से श्रद्धालु अलग-अलग तिथियों पर आ सकेंगे और भीड़ को नियंत्रित करना आसान होगा।
2027 नासिक कुंभ मेले की खास बातें
- सभी 13 अखाड़े इसमें भाग लेंगे।
- गोदावरी नदी की सफाई और विकास पर विशेष ध्यान रहेगा।
- तपोवन क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए जगह आरक्षित होगी।
- कुल 3 अमृत स्नान और 45 अन्य स्नान होंगे।
- आयोजन नासिक, त्र्यंबकेश्वर, तपोवन और पंचवटी में संयुक्त रूप से होगा।
- गोदावरी नदी के किनारे एक वैकल्पिक घाट भी बनाया जाएगा।
2027 नासिक कुंभ मेले में शामिल अखाड़े
- जूना अखाड़ा
- निरंजनी अखाड़ा
- महानिर्वाणी अखाड़ा
- अटल अखाड़ा
- आहवान अखाड़ा
- निर्मोही अखाड़ा
- आनंद अखाड़ा
- पंचाग्नि अखाड़ा
- नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा
- वैष्णव अखाड़ा
- उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा
- उदासीन नया अखाड़ा
- निर्मल पंचायती अखाड़ा
2027 नासिक कुंभ मेला परियोजनाएँ
सरकार ने इस आयोजन के लिए 4000 करोड़ रुपये की योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें से 2000 करोड़ की परियोजनाएँ पहले से पाइपलाइन में हैं।
- साधुओं और संतों के लिए अतिरिक्त भूमि का प्रबंधन।
- नदी और घाटों की साफ-सफाई।
- भीड़ नियंत्रण के लिए आधुनिक सुविधाएँ।
- श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतज़ाम।
FAQ
Q1. नासिक कुंभ मेला कब और कहाँ आयोजित होता है?
Ans: नासिक कुंभ मेला हर 12 साल में महाराष्ट्र के नासिक शहर में गोदावरी नदी और कुशावर्त कुंड के तट पर आयोजित होता है।
Q2. नासिक कुंभ मेले का धार्मिक महत्व क्या है?
Ans: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूँदें नासिक में गिरी थीं। इसी कारण नासिक कुंभ मेले को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Q3. नासिक कुंभ मेले के प्रमुख अनुष्ठान कौन-कौन से हैं?
Ans: इसमें राम कुंड पर ध्वजारोहण, साधुग्राम में अखाड़ों का झंडा फहराना, और श्रावण पूर्णिमा, भाद्रपद अमावस्या व ऋषिपंचमी पर शाही स्नान प्रमुख हैं।
Q4. नासिक कुंभ मेले में कितने शाही स्नान होते हैं?
Ans: नासिक कुंभ मेले में तीन प्रमुख शाही स्नान होते हैं, जिनमें अंतिम स्नान वामन द्वादशी (भाद्रपद शुक्ल द्वादशी) को किया जाता है।
Q5. नासिक कुंभ मेले में कौन-कौन से धार्मिक स्थल महत्वपूर्ण हैं?
Ans: त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर और राम कुंड इस मेले के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जहाँ लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान और दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
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