Sant Shree Janardhan Swami Maharaaj Aarti in marathi

अध्यात्माचा छंद जडतसे अंजनीसुत सेवा।
त्यागुनि गृह संसार शोधिती हरिहर प्रभु मेवा॥३॥

नागाबाबा गोरखजती गुरु नागेश्वर मंदिरी।
दीक्षा दे संन्यासा साधक बनले मौनगिरी॥५॥

यज्ञ याग हे सदैव चाले अन्नदान दिना।
स्वधर्म सेवा वृत्ति सनातन कथि प्रभुचा महिमा॥७॥

लीन प्रभाकर कर जोडितसे सद्गुरू नत् चरणी।
स्वामी जनार्दन मौनगिरी मुनि दैवत प्रिय भुवनी ॥९॥

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